खगोलीय दूरदर्शी का किरण आरेख | Astronomical Telescope Derivation Class 12 | Khagoliy Doordarshi Easy Derivation

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इस लेख में हम खगोलीय दूरदर्शी का किरण आरेख बनायेगे और Astronomical Telescope Derivation Class 12 यानिक खगोलीय दूरदर्शी आवर्धन क्षमता का सूत्र का निगमन करेंगे. अगर आप Khagoliy Doordarshi के बारे में पूरा जानना चाहते है तो लेख को पूरा अंत तक पढ़े.

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दोस्तों जैसा की आपको पता होगा की ये सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक है तो हर साल बोर्ड परीक्षा में आते है. इस लेख में हम खगोलीय दूरदर्शी की संरचना, समायोजन और आवर्धन क्षमता – जब अंतिम प्रतिबिम्ब न्यूनतम दुरी पर हो. ऐसे ही आपका पूछता है आपको चित्र सही से बनाना आना चाहिए काफी बार आपको खगोलीय दूरदर्शी का किरण आरेख के लिए पूछता है और सबसे जयदे अंक आपको इसी चित्र पर मिलता है तो आपको पता चल गया की खगोलीय दूरदर्शी के टॉपिक में क्या क्या आपको ध्यान देना है.

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Astronomical Telescope Derivation Class 12 – खगोलीय दूरदर्शी का सचित्र वर्णन

दोस्तों आपको मैं खगोलीय दूरदर्शी का सचित्र वर्णन पूरा यहाँ पे देने वाला हु जिसको आपको याद करना बहुत जरुरी है. इसमें आपको पाच पॉइंट पर ध्यान देना है की खगोलीय दूरदर्शी क्या है? खगोलीय दूरदर्शी का चित्र, खगोलीय दूरदर्शी का आवर्धन क्षमता, खगोलीय दूरदर्शी का संरचना, खगोलीय दूरदर्शी का समायोजन ये आप पॉइंट ध्यान रखे. आइये जानते है – खगोलीय दूरदर्शी का सचित्र वर्णन (Astronomical Telescope Derivation Class 12)

खगोलीय दूरदर्शी (Khagoliy Doordarshi)- यह एक ऐसा प्रकाशिक यन्त्र है जिसे दूर स्थित आकाशीय पिण्डो जैसे चन्द्रमा, तारे आदि देखने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

खगोलीय दूरदर्शी का संरचना (khagoliy doordarshi ki sanrachna)- इसमें धातु की एक लम्बी बेलनाकार नली होती है, जिसके एक सिरे पर अधिक फोकस दूरी एवं बड़े द्वारक वाला एक उत्तल लेन्स O लगा रहता है, जिसे अभिदृश्यक लेन्स कहते हैं। इस नली के दूसरे सिरे पर एक अन्य छोटी नली लगी होती है, जिसके बाहरी सिरे पर एक कम फोकस दूरी एवं छोटे द्वारक का उत्तल लेन्स (E) लगा रहता है, जिसे अभिनेत्र लेन्स अथवा नेत्रिका कहते हैं। अभिनेत्र लेन्स के फोकस पर क्रॉस- तार लगे रहते हैं। उपकरण में लगी दन्तुर दण्ड-चक्र व्यवस्था द्वारा एक नली को दूसरी नली के भीतर अथवा पीछे खिसकाकर दोनों लेन्सों के बीच की दूरी को बदला जा सकता है।

खगोलीय दूरदर्शी का चित्र – Astronomical Telescope Diagram

खगोलीय दूरदर्शी का चित्र - Astronomical Telescope Derivation Class 12
खगोलीय दूरदर्शी का चित्र – khagoliy doordarshi ka chitra- Astronomical Telescope Derivation Class 12

खगोलीय दूरदर्शी का समायोजन (khagoliy doordarshi ki samayojan) – सर्वप्रथम नेत्रिका को आगे-पीछे खिसकाकर क्रॉस-तार पर फोकस कर लेते हैं। अब जिस दूरस्थ वस्तु को देखना होता है अभिदृश्यक लेन्स को उस वस्तु की ओर कर देते हैं। अब दन्तुर दण्ड-चक्र व्यवस्था से अभिदृश्यक लेन्स की क्रॉस-तार से दूरी इस प्रकार समायोजित करते हैं कि वस्तु के प्रतिबिम्ब तथा क्रॉस-तार के बीच कोई लम्बन न रहे। इस स्थिति में वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। चूँकि यह प्रतिबिम्ब लेन्सो द्वारा प्रकाश के अपवर्तन की क्रिया से बनता है इसीलिए यह दूरदर्शी अपवर्तक दूरदर्शी (khagoliy doordarshi ki avardhan kshamta) कहलाता है।

जब अन्तिम प्रतिविम्व स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी D पर बनता है

इस स्थिति में, नेत्रिका के लिए v_{e}=-D

अतः\frac{1}{v_{e}}-\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}} में चिह्न सहित मान रखने पर,

-\frac{1}{D}-\frac{1}{-u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}
अथवा \frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}+\frac{1}{D}=\frac{1}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right ) —–(1)

fo से समीकरण (1) में गुणा करने पर,

\frac{f_{0}}{u_{e}}=\frac{f_{0}}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right )

अतः आवर्धन क्षमता

\mathbf{{\color{Red} M=-\frac{f_{0}}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right )}}

Numerical Solution for Astronomical Telescope Derivation Class 12

प्रश्न – ज्योतिष दूरदर्शी का नामांकित किरण आरेख बनाइए, जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बन रहा हो। निम्न में से कौन-से उत्तल लेन्सों को प्रयुक्त करने पर अधिकतम आवर्धन क्षमता का दूरदर्शी बनेगा? इस दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
f1 = 20 सेमी, f2 = 50 सेमी , f3 = 1 मीटर, f4 = 5 सेमी

हल – दिए गए उत्तल लेंसों की फोकस दूरियां f1 = 20 सेमी, f2 = 50 सेमी , f3 = 1 मीटर, f4 = 5 सेमी

f1 व f2 लेंसों से बने Khagoliy Doordarshi की आवर्धन क्षमता,

M=-\frac{f_{0}}{f_{e}}\left ( 1+\frac{f_{e}}{D} \right )=-\frac{50}{20}\left ( 1+\frac{20}{25} \right )=-4.5

f3 व f4 लेंसों से बने दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता,

M=-\frac{f_{0}}{f_{e}}\left ( 1+\frac{f_{e}}{D} \right )=-\frac{100}{5}\left ( 1+\frac{5}{25} \right )=-24

दोस्तों जैसा की हमने ज्योतिष दूरदर्शी यानिक खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता (khagoliy doordarshi ki avardhan kshamta) हमने निकाल लिया है तो ये जो तरीका था एक दम आसन तरीका था. जिसको आप आसानी से याद कर सकते है. इस टॉपिक में आप चित्र महत्वपूर्ण है तो आप चित्र को अच्छे से देख कर याद कर लीजियेगा. अब हम देखंगे इसका सम्पूर्ण हल यानिक सम्पूर्ण विधि ये विधि थोडा लम्बा होगा लेकिन अगर आप कहते हो तो आप पहला बिधि आसानी से याद कर सकते है.

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खगोलीय दूरदर्शी की संरचना तथा क्रियाविधि का वर्णन – Astronomical Telescope Derivation Class 12

अब देखते है दुसरा विधि खगोलीय दूरदर्शी का, इस विधि में आपको Khagoliy Doordarshi आवर्धन क्षमता कैसे निकलता है ये बताया गया है. इस लेख को पढ़ के आप आसानी से जान जावगे की आवर्धन क्षमता कैसे निकलना है और बोर्ड परीक्षा में ये प्रश्न कुछ इस प्रकार से पूछता है.

  • खगोलीय दूरदर्शी की संरचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए। किरण आरेख खींचकर इसमें प्रतिबिम्ब का बनना प्रदर्शित कीजिए।

जैसा की आप प्रश्न में देख सकते है की किरण आरेख जरुर बनाने को बोल रहा है तो आपको चित्र को बार – बार बना के अभ्यास कर लेना है ताकि आपको चित्र आसानी से याद हो जाये और आप बोर्ड परीक्षा में इस चित्र को आसानी से और अच्छे तरीके से बना सके. आइये अब जानते है इसका सम्पूर्ण विधि…

खगोलीय दूरदर्शी (khagoliy doordarshi) यह एक ऐसा प्रकाशिक यन्त्र हैं, जिसके द्वारा बना दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख पर बड़ा दर्शन कोण बनाता है, जिससे कि वह वस्तु आँख को बड़ी दिखाई पड़ती है तथा यह दूर स्थित आकाशीय पिण्डों; जैसे चन्द्रमा, तारे आदि देखने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

Khagoliy Doordarshi संरचना इसमें धातु की एक लम्बी बेलनाकर नली होती है, जिसके एक सिरे पर अधिक फोकस दूरी एवं बड़े द्वारक वाला एक उत्तल लेन्स 0 लगा रहता है, जिसे अभिदृश्यक लेन्स कहते हैं। इस नली के दूसरे सिरे पर एक अन्य छोटी नली लगी होती है, जिसके बाहरी सिरे पर एक कम फोकस दूरी एवं छोटे द्वारक का उत्तल लेन्स (E) लगा रहता है, जिसे अभिनेत्र लेन्स अथवा नेत्रिका कहते हैं। अभिनेत्र लेन्स के फोकस पर क्रॉस-तार लगे रहते हैं। उपकरण में लगी दन्तुर दण्ड-चक्र व्यवस्था द्वारा एक नली को दूसरी नली के अन्दर अथवा पीछे खिसकाकर दोनों लेन्सों के बीच की दूरी को बदला जा सकता है।

Khagoliy Doordarshi समायोजन सबसे पहले नेत्रिका को आगे-पीछे खिसकाकर क्रॉस-तार पर फोकस कर लेते हैं। अब जिस दूरस्थ वस्तु को देखना होता है, अभिदृश्यक लेन्स को उस वस्तु की ओर कर देते हैं। अब दन्तुर दण्ड-चक्र व्यवस्था से अभिदृश्यक लेन्स की क्रॉस-तार से दूरी इस प्रकार समायोजित करते हैं कि वस्तु के प्रतिबिम्ब तथा क्रॉस-तार के बीच कोई लम्बन न रहे। इस स्थिति में वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। चूँकि यह प्रतिबिम्ब लेन्सों द्वारा प्रकाश के अपवर्तन की क्रिया से बनता है इसलिए यह दूरदर्शी अपवर्तक दूरदर्शी कहलाता है।

खगोलीय दूरदर्शी का चित्र – Astronomical Telescope Diagram

Astronomical Telescope Derivation Class 12
खगोलीय दूरदर्शी का चित्र – Astronomical Telescope Diagram

खगोलीय दूरदर्शी (Khagoliy Doordarshi) का प्रतिबिम्ब का बनना – चित्र में अभिदृश्यक लेन्स तथा नेत्रिका लेन्स प्रदर्शित हैं। अधिक दूरी पर स्थित वस्तु AB से आने वाली समान्तर किरणें अभिदृश्यक लेन्स O से अपवर्तन के पश्चात् इसके द्वितीय फोकस (F) पर वस्तु का वास्तविक, उल्टा एवं वस्तु से छोटा प्रतिविम्ब A1 B1 बनाती है। चूंकि यह प्रतिबिम्ब, A1 B1, नेत्रिका E के प्रथम फोकस Fe‘ तथा नेत्रिका के बीच बनता है तथा नेत्रिका के लिए आभासी वस्तु का कार्य करता है।

अत: नेत्रिका A1 B1 का सीधा, आभासी तथा बड़ा प्रतिबिम्ब A2 B2 बनाती है, जो स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी तथा अनन्त के बीच बनता है। बिन्दु B2 की स्थिति ज्ञात करने के लिए B1 से दो बिन्दुदार किरणें लेते हैं। एक किरण, जो मुख्य अक्ष के समान्तर है, नेत्रिका E से अपवर्तित होकर इसके द्वितीय फोकस Fe‘ से होकर जाती है तथा दूसरी किरण, नेत्रिका के प्रकाशिक केन्द्र से निकलकर सीधी चली जाती है।

ये दोनों किरणें पीछे की ओर बढ़ाने पर B2 पर मिलती प्रतीत होती है। यदि अभिदृश्यक लेन्स O द्वारा बना प्रतिबिम्ब A1 B1 नेत्रिका E के प्रथम फोकस Fe पर बने तो अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनेगा, जो श्रान्त आँख द्वारा स्पष्ट दिखाई देगा।

दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेन्स का व्यास बड़ा इसलिए लेते हैं, जिससे कि वह दूरस्थ वस्तु से बहुत अधिक प्रकाश एकत्र कर सके तथा प्रतिबिम्ब चमकीला बने। आवर्धन क्षमता दूरदर्शी से बने अन्तिम प्रतिबिम्ब द्वारा आँख पर बनाए गए दर्शन कोण तथा वस्तु द्वारा आँख पर बनाए गए कोण के अनुपात को दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता (M) कहते हैं।

चूँकि वस्तु AB आँख से बहुत अधिक दूरी पर है, अतः वस्तु द्वारा अभिदृश्यक पर बने कोण (α) को ही वस्तु द्वारा आँख पर बना कोण माना जा सकता है।
चूँकि कोण α छोटा है, अतः \alpha =\tan \alpha =\frac{A_{1}B_{1}}{OA_{1}}

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चूँकि प्रतिबिम्ब A1 B1 अभिदृश्यक के फोकस पर बना है; अत: OA1 = +fo अथवा \alpha =\frac{A_{1}B_{1}}{f_{o}}

चूँकि आँख नेत्रिका के अत्यन्त समीप है, अतः अन्तिम प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्रिका पर बने कोण (β) को ही नेत्र पर बना कोण माना जा सकता है। चूँकि कोण β छोटा है, अतः \beta =\tan \beta=\frac{A_{1}B_{1}}{EA_{1}}

परन्तु A_{1}E=-u_{e} अतः \beta =\frac{A_{1}B_{1}}{u_{e}}

अतः आवर्धन क्षमता \mathbf{{\color{Red} M=\frac{\beta }{\alpha }=-\frac{f_{o}}{u_{e}}}}

यह दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता का व्यापक सूत्र है इसकी दो स्थितियाँ सम्भव हैं

जब अन्तिम प्रतिविम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी D पर बनता है।

इस स्थिति में नेत्रिका के लिए v_{e}=-D

अतः \frac{1}{v_{e}}-\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}} में चिन्ह सहित मान रखने पर,

\frac{1}{-D}-\frac{1}{-u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}
-\frac{1}{D}+\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}
\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}+\frac{1}{D}
\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right )

समीकरण (1) की गुणा f से करने पर , \frac{f_{o}}{u_{e}}=\frac{f_{o}}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right )

अतः आवर्धन क्षमता \mathbf{{\color{Red} M=-\frac{f_{o}}{f_{e}}\left (1+\frac{f_{e}}{D} \right )}}

इस स्थिति में दूरदर्शी की लम्बाई =f_{o}+u_{e} होगी.

जब अन्तिम प्रतिविम्ब अनंत पर बनता है।

इस स्थिति में, अभिदृश्यक द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब नेत्रिका के प्रथम फोकस पर बनेगा। अतः f_{e}=u_{e}\Rightarrow M=-\frac{f_{o}}{f_{e}}
इस स्थिति में दूरदर्शी की लम्बाई f_{o}+f_{e} होगी तथा आँख श्रान्त अवस्था में रहती है।

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Types of Astronomical Telescopes – खगोलीय दूरबीनों के प्रकार

तीन मुख्य प्रकार की Khagoliy Doordarshi हैं: अपवर्तक, परावर्तक और कैटैडोप्ट्रिक। प्रत्येक प्रकार के अपने फायदे और नुकसान हैं, और दूरबीन का चुनाव प्रेक्षक की जरूरतों और प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा।

  • अपवर्तक दूरदर्शी: अपवर्तक दूरदर्शी लेंस का उपयोग प्रकाश को फोकस करने और मोड़ने के लिए करते हैं। लेंस आमतौर पर कांच के बने होते हैं, और एक लंबी ट्यूब में व्यवस्थित होते हैं। ट्यूब के बड़े सिरे को ऑब्जेक्टिव लेंस कहा जाता है, और छोटे सिरे को ऐपिस कहा जाता है। अपवर्तक दूरदर्शी आमतौर पर परावर्तक दूरदर्शी की तुलना में अधिक महंगे होते हैं, लेकिन वे एक स्पष्ट छवि और व्यापक दृश्य क्षेत्र प्रदान करते हैं। हालांकि, उन्हें परिवहन और स्थापित करना अधिक कठिन हो सकता है, और वे रंगीन विपथन से ग्रस्त हैं, जो छवि गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • परावर्तक दूरदर्शी: परावर्तक दूरदर्शी प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करने और प्रतिबिंबित करने के लिए दर्पण का उपयोग करते हैं। दर्पण आमतौर पर कांच के बने होते हैं, और एक ट्यूब में व्यवस्थित होते हैं। बड़े दर्पण को प्राथमिक दर्पण तथा छोटे दर्पण को द्वितीयक दर्पण कहते हैं। परावर्तक दूरदर्शी आम तौर पर अपवर्तक दूरदर्शी की तुलना में कम खर्चीले होते हैं, और वे देखने के व्यापक क्षेत्र की पेशकश करते हैं। उन्हें परिवहन और स्थापित करना भी आसान है। हालांकि, उन्हें टकराना (संरेखित करना) अधिक कठिन हो सकता है और वे कोमा के शिकार होते हैं, जो छवि गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
  • कैटाडियोप्टिक टेलीस्कोप: कैटाडियोप्टिक टेलीस्कोप प्रकाश को केंद्रित करने और मोड़ने के लिए लेंस और दर्पण के संयोजन का उपयोग करते हैं। लेंस और दर्पण आमतौर पर एक कॉम्पैक्ट ट्यूब में व्यवस्थित होते हैं। कैटाडियोप्टिक टेलीस्कोप अपवर्तक और प्रतिबिंबित टेलीस्कोप दोनों के फायदे प्रदान करते हैं: वे एक स्पष्ट छवि, व्यापक दृश्य क्षेत्र प्रदान करते हैं, और वे परिवहन और स्थापित करने में आसान होते हैं। हालांकि, वे किसी भी प्रकार के टेलीस्कोप से अधिक महंगे हो सकते हैं, और वे कोमा और दृष्टिवैषम्य से ग्रस्त हैं, जो छवि गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।

कुल मिलाकर, टेलीस्कोप का चुनाव प्रेक्षक के बजट, अवलोकन आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा। प्रत्येक प्रकार के टेलीस्कोप की अपनी ताकत और कमजोरियां होती हैं, और पर्यवेक्षक को उस टेलीस्कोप का चयन करना चाहिए जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करता हो।

FAQs on Astronomical Telescope Derivation Class 12

खगोलीय दूरदर्शी का चित्र - Astronomical Telescope Derivation Class 12
खगोलीय दूरदर्शी का चित्र – Astronomical Telescope Derivation Class 12

एक खगोलीय दूरदर्शी का आवर्धन कितना होता है?

एक खगोलीय दूरदर्शी का आवर्धन अभिदृश्यक लेंस/दर्पण की फोकस दूरी को नेत्रिका की फोकस दूरी से विभाजित करके निर्धारित किया जाता है।

अपवर्तक और परावर्तक दूरदर्शी में क्या अंतर है?

एक अपवर्तक टेलीस्कोप प्रकाश को फोकस करने और मोड़ने के लिए लेंस का उपयोग करता है, जबकि एक परावर्तक टेलीस्कोप दर्पण का उपयोग करता है। अपवर्तक दूरदर्शी अधिक महंगे होते हैं और देखने का एक संकीर्ण क्षेत्र होता है, जबकि परावर्तक दूरबीन आमतौर पर कम खर्चीला होता है और देखने का एक व्यापक क्षेत्र होता है।

विश्व की सबसे बड़ी खगोलीय दूरबीन कौन सी है?

2023 तक, दुनिया का सबसे बड़ा खगोलीय टेलीस्कोप कैनरी द्वीप समूह में स्थित ग्रैन टेलीस्कोपियो कैनारियास (जीटीसी) है। इसमें 10.4 मीटर का एपर्चर है और इसका उपयोग विभिन्न खगोलीय अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

क्या मैं ग्रहों को देखने के लिए खगोलीय दूरबीन का उपयोग कर सकता हूँ?

जी हाँ, खगोलीय दूरबीनों का उपयोग आमतौर पर ग्रहों, साथ ही अन्य खगोलीय पिंडों जैसे सितारों, आकाशगंगाओं और नेबुला को देखने के लिए किया जाता है।

क्या मुझे खगोलीय दूरबीन का उपयोग करने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता है?

जबकि कड़ाई से आवश्यक नहीं है, कुछ सामान जैसे ऐपिस, फिल्टर और माउंट आपके देखने के अनुभव को बढ़ा सकते हैं और आपके खगोलीय टेलीस्कोप का उपयोग करना आसान बना सकते हैं।

क्या मैं अपने खगोलीय टेलीस्कोप से तस्वीरें ले सकता हूँ?

हाँ, एक खगोलीय टेलीस्कोप के साथ तस्वीरें लेना संभव है, या तो एक कैमरा सीधे टेलीस्कोप से जोड़कर या एक विशेष एडेप्टर का उपयोग करके। हालाँकि, फोटोग्राफी के लिए बुनियादी अवलोकन से परे अतिरिक्त उपकरणों और तकनीकों की आवश्यकता होती है।

मैं अपने खगोलीय टेलीस्कोप का रखरखाव और सफाई कैसे करूँ?

अपने खगोलीय टेलीस्कोप को बनाए रखने और साफ करने के लिए, लेंस या दर्पण को अपनी उंगलियों से छूने से बचना और उपयोग में न होने पर टेलीस्कोप को सूखी, ठंडी जगह पर रखना महत्वपूर्ण है। लेंस या दर्पणों को साफ करने के लिए, एक मुलायम, लिंट-फ्री कपड़े और विशेष रूप से ऑप्टिकल सतहों के लिए डिज़ाइन किए गए सफाई समाधान का उपयोग करें।

मैं एक खगोलीय दूरबीन कैसे चुनूं?

एक खगोलीय टेलीस्कोप चुनते समय, टेलीस्कोप के प्रकार (अपवर्तक, परावर्तक, या कैटैडोप्ट्रिक), एपर्चर आकार, माउंट प्रकार, और आपकी अवलोकन आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं जैसे कारकों पर विचार करें।

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Conclusion: Khagoliy Doordarshi

खगोल विज्ञान में गहरी रुचि रखने वाले छात्रों के लिए Astronomical Telescope Derivation Class 12 को समझना महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हमने विभिन्न प्रकार के खगोलीय दूरबीनों, उनके भागों और अपवर्तक और परावर्तक दोनों दूरबीनों की व्युत्पत्ति पर चर्चा की है। इसके अतिरिक्त, हमने खगोलीय दूरबीनों के कार्य सिद्धांतों और आकाशीय पिंडों का निरीक्षण करने के लिए प्रकाश को आवर्धित और केंद्रित करने के तरीकों का पता लगाया है।

खगोलीय दूरबीनों ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे खगोलविदों को अधिक विस्तार और स्पष्टता के साथ खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने की अनुमति मिलती है। प्रौद्योगिकी की प्रगति के रूप में, खगोलीय दूरबीनों (Khagoliy Doordarshi ) का भविष्य ब्रह्मांड में और भी अधिक खोज करने की क्षमता के साथ आशाजनक दिखता है।

कुल मिलाकर, Astronomical Telescope Derivation Class 12 एक रोमांचक विषय है जो खगोल विज्ञान के अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए संभावनाओं की एक पूरी नई दुनिया खोलता है। इस ज्ञान के साथ छात्र ब्रह्मांड का पता लगा सकते हैं और ब्रह्मांड की गहरी समझ हासिल कर सकते हैं।

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